रविवार, 15 मई 2016

युवा, बाइक और मोबाइल





युवा, बाइक और मोबाइल



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कान और कंधे के बीच .दबा कर मोबाइल


हमारा युवा बाइक पर दिखा रहा है स्टाइल


भूल जाता है घर पर इंतजार ....माँ कर रही
 
ले सकती है जान ...एक पल की लापरवाही

हेलमेट को भी बस .....कंधे पर लटकाता है

दिखाने की ये चीज नहीं .सिर को बचाता है

सड़क को रेस का एक .मैदान समझ रहा है

खतरों से गाफिल युवा ..मौत से खेल रहा है
 
बिना हेलमेट, बाइक पर .जो फोन करता है

हो सकता अपाहिज या .जान गंवा सकता है

-विनोद ‘व्याकुल’

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