रविवार, 15 मई 2016

आशु कविता - सौंदर्य

 


सौंदर्य



सौंदर्य नहीं है मेकअप की भारी परतों में

या अंगों के कृत्रिम उभारों में,

सौंदर्य है सूर्योदय/सूर्यास्त के मनोहारी दृश्यों में

बगिया की क्यारियों में खिले पुष्पों में

सौंदर्य है आज भी हाथ में हाथ डाले

बगल से गुजर रहे वृद्ध दंपत्ति में

सौंदर्य है बच्चे की मुस्कान में

सौंदर्य है हर उस चीज में

आपके मन को जो हर्षित करे

न कि जो हर किसी को हर्षित करे

सौंदर्य है जो आप हैं वह होने में  

सौंदर्य है यही यथार्थ में।
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