“सवाल” - विनोद व्याकुल
-------------------------------
सवाल और सवाल-दर-सवाल,
इतने सारे सवाल क्यों होते हैं।
घर के सवाल, बाहर के सवाल
रिश्तों के सवाल, दोस्ती के सवाल,
पेट के सवाल, भूख के सवाल
अरमानों के सवाल, हसरतों के सवाल
मिलन के सवाल, जुदाई के सवाल
एक का जवाब ढूँढ भी लें तो
दस सवाल और खड़े हो जाते हैं
जिंदगी तमाम हो रही है, यूँ
सवालों के जवाब ढूँढते
क्या कभी ये खत्म भी होंगे
लगता है मौत के बाद भी
सवाल पीछा करते रहेंगे
रूह को भी ऐसे ही घेरते रहेंगे
-------------------------------
सवाल और सवाल-दर-सवाल,
इतने सारे सवाल क्यों होते हैं।
घर के सवाल, बाहर के सवाल
रिश्तों के सवाल, दोस्ती के सवाल,
पेट के सवाल, भूख के सवाल
अरमानों के सवाल, हसरतों के सवाल
मिलन के सवाल, जुदाई के सवाल
एक का जवाब ढूँढ भी लें तो
दस सवाल और खड़े हो जाते हैं
जिंदगी तमाम हो रही है, यूँ
सवालों के जवाब ढूँढते
क्या कभी ये खत्म भी होंगे
लगता है मौत के बाद भी
सवाल पीछा करते रहेंगे
रूह को भी ऐसे ही घेरते रहेंगे
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें