सोमवार, 4 मई 2015

निगाहों से यूँ कत्ल करने वाले

निगाहों से यूँ कत्ल करने वाले

जालिम बड़े हैं ये तड़पाने वाले


गुमां नहीं होता दिल खोने का


जादूगर होते हैं दिल चुराने वाले


मीठी बातों से मन को लुभाते हैं

दिल पर फिर छुरी चलाने वाले 


सपने इस कदर रंगीन दिखाते हैं


हो जाते गुलाम दिल लुटाने वाले


इन हसीनों से अब कौन बचाए 


बेदर्द बड़े हैं बिजली गिराने वाले

कोई रास्ता नहीं बचा है ‘व्याकुल’


बेहतर यही है हो जा इनके हवाले


-विनोद शर्मा ‘व्याकुल’

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