पैसे के दौर में इंसान की कदर कोई नहीं
पैसेका रौब चले ईमान की बात कोई नहीं
पैसा बना भगवान चाहे जिस विध ये आए
है काला या सफेद इसकी परवाह कोई नहीं
पैसे के पीछे रिश्ते सब जमाने में खो गए
भाई बना दुश्मन रिश्ते का मान कोई नहीं
बिना पढ़ाई मिलें पैसे से नौकरियाँ और हो
उच्च शिक्षा में प्रवेश. चाहे प्रतिभा कोई नहीं
पैसे से बनें भाग्यविधाता, जनता के रखवाले
पैसा ही जिताए चुनाव वोट का मोल कोई नहीं
पैसे से इंसाफ मिले गरीब दर-दर ठोकर खाए
इंसाफ बिकता यहाँ कानून की कद्र कोई नहीं
-विनोद शर्मा ‘व्याकुल’
पैसेका रौब चले ईमान की बात कोई नहीं
पैसा बना भगवान चाहे जिस विध ये आए
है काला या सफेद इसकी परवाह कोई नहीं
पैसे के पीछे रिश्ते सब जमाने में खो गए
भाई बना दुश्मन रिश्ते का मान कोई नहीं
बिना पढ़ाई मिलें पैसे से नौकरियाँ और हो
उच्च शिक्षा में प्रवेश. चाहे प्रतिभा कोई नहीं
पैसे से बनें भाग्यविधाता, जनता के रखवाले
पैसा ही जिताए चुनाव वोट का मोल कोई नहीं
पैसे से इंसाफ मिले गरीब दर-दर ठोकर खाए
इंसाफ बिकता यहाँ कानून की कद्र कोई नहीं
-विनोद शर्मा ‘व्याकुल’
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