सोमवार, 4 मई 2015

एक हादसा

आज अचानक एक हादसा हो गया

घर के रैंप से उतरते हुए पैर फिसल गया


और अपनेराम गिरे धड़ाम से मुँह के बल

दो मिनट तक धरती माँ से किया आलिंगन

इसी समय एक नेक कारवाले ने ब्रेक लगाए

एक सज्जन कार से निकल मेरे करीब आए

सिद्ध हुआ मानवता अभी तक कायम है

जैसे-तैसे उठ कर पाया सज्जन को चिंतित

जो अपनापन उस अपरिचित ने दिखाया

चोट का दर्द कुछ पल को काफूर हुआ

चोट अधिक नहीं उनकोे समझाया

चेहरे पर अगर बाकी हैं चोट के निशान

तो दिल पर छोड़ गया छाप वह इंसान

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