बुधवार, 16 जुलाई 2014

एक सौदागर ऐसा आया देश में


एक सौदागर ऐसा आया देश में
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एक सौदागर ऐसा आया देश में
सपने सुहाने ले कर आया देश में
सुंदर ऐसा जाल बिछाया देश में
मदहोश सबको कर दिया देश में
जो मांगा उसने वो पाया देश में
वादों से सबको भरमाया देश में
मीठी बातों में हरेक आया देश में
उसने कैसा ये खेल रचाया देश में
आशाओं को उसने जगाया देश में
जमे हुए तख्त को हिलाया देश में
कब्जा यूँ तख्त पर जमाया देश में
और फिर वादों को भुलाया देश में
दामों को बाजार के बढ़ाया देश में
ये कैसा हाहाकार मचाया देश में
एक सौदागर ऐसा आया देश में

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