शनिवार, 5 जुलाई 2014

कालचक्र

कालचक्र निर्बाध गति से चल रहा है। हमारी भिन्न-भिन्न परिस्थितियों के अनुसार किसी को यह दौड़ता हुआ, किसी को रेंगता हुआ या किसी को थमा हुआ लग सकता है, लेकिन वस्तुतः यह अपनी स्थिर गति से हमेशा चलायमान रहता है। न यह कभी रुकता है और न कभी पीछे की ओर पलटता है। क्या यह नहीं हो सकता कि हम भी इस कालचक्र के साथ बस आगे ही आगे बढ़ते जाएँ? अतीत जो पीछे छूट गया है, उसे भुला कर केवल आने वाले समय के बारे में विचारें, चर्चा करें और स्वयं को संभावित के लिए तैयार करें। आपका आज का दिन सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण हो।

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