मंगलवार, 10 अगस्त 2010

धन्य हैं ये ट्रक वाले


धन्य हैं ये ट्रक वाले जो लिखते और लिखवाते हैं।
खुद तो शायद रोते होंगे, पर सबको हँसाते हैं।।

देश और समाज की परेशानियों को समझते हुए
उनके बेहतरीन इलाज भी बहुत बताते हैं

इनका फलसफा भी आमिलों से कोई कम नहीं
मुश्किलों में जीते हैं मगर जिंदगी से कोई गम नहीं

आपने ट्रकों के पीछे लिखे रोचक शेर, दोहे आदि देखे होंगे।
प्रस्तुत है उनके कुछ नमूने-

बुरी नजर वाले तेरे बच्चे जियें
और बड़े हेकर तेरा खून पियें

दूसरे का माल देखकर हैरान मत हो
खुदा तुझे भी देगा, परेशान मत हो

गफलत जो करोगे, तो न लौटेगे वतन को
दो गज जमीन तो दूर, तरसोगे कफन को

चलो ड्राइवर जल्दी वतन नसीब नहीं
सड़क पर मैय्यत पड़ी, कफन नसीब नहीं

हजारों मंजिलें होंगी, हजारों कारवां होंगे
निगाहें हमको ढूंढेंगी, न जाने हम कहाँ होंगे

दो वक्त की रोटी के लिये, न जानं कहाँ तक जाता हूँ
रात और दिन का कुछ पता नहीं, मौत के साये में कुछ कमा लाता हूँ

ये दुनिया प्यासे को तपन देती है,
यादों को दफन कर देती है,
जीते जी तन को कपड़ा नहीं देती,
मरने के बाद कफन देती है

रोशनी तेज करो चाँद सितारों अपनी
मुझे मंजिल पर पहुँचना है सुबह तक

मंजिल-ए-राह-ए-हकीकत बताने के लिये
छोड़ जा नक्श-ए-कदम औरों के आने के लिये

जिंदगी एक सेन्टेंस है, इसे आप ही समझो
जवानी है डैश, बुढ़पा कोमा, मौत को फुलस्टॉप ही समझो

कर कमाई नेक, बन्दे मुफ्त खाना छोड़ दे
हमने छोड़ी ताशबाजी, तू इश्कबाजी छोड़ दे

पाप कमाई घर में, घिरे अमंगल रोग
पापी अब क्यों रोये, अपनी करनी भोग

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